चले हो दूर तुम हमसे, पर हमे ना भुला पाओगे,
जब जब आओगे आईने के सामने,
चेहरा मेरा ही पाओगे।
मिलेगे तुम्हे और भी, चाहेगे तुम्हे और भी,
पर जब जब तुम लोगे सांस,
हर सांस में महक मेरी ही पाओगे।
जब भी बैठोगे खाने को, एक कौर भी न खा पाओगे,
जो भी हाथ उठेगा मुंह की तरफ,
हाथ मेरा ही पाओगे।
मंजिल की तरफ, तुम जब भी कदम बढाओगे,
मुझको खुदा से दुआ करते,
राहों में हरदम पाओगे।
चाहे तुम अजनबी कहलो, चाहे बेवफा कहलो,
जब जब गूंजेगा गीत कोई,
स्वर मेरे ही पाओगे।
चाहे जिन्दगी धोखा दे दे, चाहे मौत से हो जाए वफ़ा,
पर जब जब आँखें खोलोगे,
मेरी आँखें ही पाओगे।।
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