हसरत है जो पहली नज़र से,
काश हुस्न उसे समझ पाए कभी।
हो जाए ख़त्म ये दर्द-ऐ-दिल,
जो दुआ में वो मांग ले मुझे कभी।
तडपता है ये दिल कितना उनके लिए,
काश ये सब उन्हें समझ में आये कभी।
भटक रहा हूँ कब से उनकी चाह में,
इस उल्फत को वो मिटाए कभी।
नहीं करती उनकी तस्वीर बात हमसे,
वो अपनी नज़र का जादू चलायें कभी।
दूर तक फैला है अँधेरा मेरी तन्हाई का,
आकर चिराग-ऐ-दिल जलाये कभी।
ना जाने मेरे प्यार के बारे में वो,
और यूँ ही मिल जाये हम कभी।
हसरत है जो पहली नज़र से,
काश हुस्न उसे समझ पाए कभी।
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