वो आयें तो कुछ यू याद आयें,
हम हुए तन्हा, और तन्हाई में वो ही नज़र आयें।।
कुछ खुशनशी यादों को यूं संजोया है हमने,
कि यादों के झरोखें से रौशनी नज़र आती है।
सोचते है कि ना डूबें इन यादों में,
पर इन्ही यादों में डूब कर तो जन्नत नज़र आती है।।
वो जिन्दगी की रातें भी कुछ अजीब थी,
कभी हुई मोहब्बत तो नींद न आई,
तो कभी जुदाई ने नींद उडाई।।
प्यार करने वालों का ये अंजाम होता हैं,
कभी आँखें रोती हैं, तो कभी दिल रोता हैं ।।
ना चाहो किसी को इतना, कि उसकी चाहत तुम्हारे लिए जरूरी बन जाए,
उसके बिना जीना बन जाए कल्पना, और मरना मजबूरी बन जाए।।
कोई दिल में बस जाए तो हम क्या करें,
कोई आँखों में छा जाए तो हम क्या करें,
सपने में मुलाकात तो उनसे हम कर लेंगे,
पर गर नींद न आये तो हम क्या करें।।
आग जलती रही, बू आती रही, धुआं उठता रहा,
आखिर में जाकर पता चला, ये तो मेरा ही दिल था।।
हरदम चाहा ख़ुशी को, गम के पहाडों को पीछे छोड़ चला,
पर जब देखे सर के ऊपर गम के बादल, तो ख्वाब मेरा बिखर गया।।
*****भरत***
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